Anodizing kya hai? एनोडाइजिंग क्या है? What is Anodising

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आधुनिक युग में एनोडाइजिंग का बहुत ज्यादा प्रयोग होता है। परंतु बहुत से लोगों को पता नहीं है कि एनोडाइजिंग क्या है? Anodizing kya hai?

एनोडाइजिंग क्या है? Anodizing kya hai?  What is Anodising

Anodizing kya hai? एनोडाइजिंग क्या है? What is Anodising

एनोडाइजिंग Anodizing एक विद्युत रासायनिक प्रक्रिया है जो धातु की सतह को एक सजावटी, टिकाऊ, जंगरोधी, एनोडिक ऑक्साइड फिनिश में परिवर्तित करती है। एनोडाइजिंग के लिए एल्यूमीनियम बेहतर मेटल है। अधिकांश व्यक्ति सोचते व समझते हैं कि एल्यूमिनियम या एल्यूमिनियम मिश्रित मैटल की बनी हुई वस्तुओं पर सीसे या लेड (Lead) की इलेक्ट्रोप्लेटिंग चढ़ाने की प्रक्रिया का नाम ही एनोडाइजिंग है। 

परन्तु वास्तविकता एल्यूमिनियम के साथ-साथ जिंक, कॉपर, ब्रोंज आदि अनेक अन्य धातुओं पर भी एनोडाइजिंग की जा सकती है। इसी प्रकार यह भी आवश्यक नहीं कि एनोडाइजिंग द्वारा केवल सीसे (lead) की परत ही वस्तुओं पर चढ़ाई जाए।

वास्तविकता तो यह है कि वस्तुओं पर ऑक्साइड की परत (layer of oxide) जमाने की प्रक्रिया का नाम एनोडाइजिंग है। एनोडाइजिंग द्वारा सभी वस्तुओं को चमकीला बनाया जाता है तो कभी उन्हें रंगा जाता है तो कभी उन्हें अधिक मजबूत बनाया जाता है। यद्यपि अधिकतर एल्यूमिनियम की वस्तुओं पर लेड एनोडाइजिंग (lead anodizing) की जाती है परन्तु अन्य प्रकार की एनोडाइजिंग्स का भी अपना अलग ही महत्व है। 

संक्षेप में इतना ही कहा जा सकता है कि जिस प्रकार इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योग में सबसे अधिक प्रचलन निकेल प्लेटिंग का है जबकि अन्य धातुओं की प्लेटिंग भी की जाती है ठीक उसी प्रकार एनोडाइजिंग में सबसे अधिक प्रचलन एल्यूमिनियम और इसकी मिश्र धातुओं पर सीसे द्वारा परत चढ़ाने का है जबकि अन्य प्रकारों से भी एनोडाइजिंग की जाती है। 

एनोडाइजिंग का मूल सिद्धांत Anodising ka Mul Siddhant (Principle of Anodizing) एनोडाइजिंग अंग्रेजी भाषा का शब्द है जो दो शब्दों के योग से बना है। मूल रूप में ये दो शब्द है Anodic+Oxidation | शब्द एनोडिक (anodic) का हिन्दी अर्थ है एनोडस की सहायता से और ऑक्सीडेशन (Oxidation) का अर्थ है ऑक्साइड की परत जमाना। अर्थात् इलेक्ट्रोप्लेटिंग के समान ही विशिष्ट बाथ में वस्तुओं को डुबोकर और एनोड्स द्वारा विद्युत प्रवाह चालू कर वस्तुओं की सतह पर ऑक्साइड की मोटी या पतली परत जमाने की प्रक्रिया का नाम है एनोडाइजिंग।

एल्यूमिनियम एक ऐसी धातु है जो वायु के संसर्ग में निरन्तर रहने पर स्वयं अपने ऊपर ऑक्साइड की एक पतली परत जमाती चली जाती है। यही कारण है कि एल्यूमिनियम अथवा इसकी मिश्र धातुओं से बनी वस्तुओं पर इलेक्ट्रो केमीकल (Electro-Chemical) विधि द्वारा ऑक्साइड (Oxide) का परत जमाना, अन्य धातुओं की अपेक्षाकृत, अधिक आसान है, क्योंकि अपनी सतह पर ऑक्साइड की परत जमाना एल्यूमिनियम धातु का स्वाभाविक गुण है।

एल्यूमिनियम और इसकी मिश्र धातुओं से बनी विविध वस्तुओं पर उनकी उपयोगिता के अनुरूप मोटी या पतली, सख्त या मुलायम कई प्रकार की ऑक्साइड की परतें एनोडाइजिंग द्वारा जमाई जा सकती हैं। अलग-अलग मोटाई व गुणवत्ता (thickness and quality) की परतें जमाने के लिए अलग-अलग घोलों (baths) का प्रयोग किया जाता है । 

जॉब की मांग के अनुरूप सही और टिकाऊ एनोडाइजिंग कर पाने के लिए आवश्यक है कि आप वस्तु की उपयोगिता के अनुरूप सही बाथ और उचित पद्धति का ही प्रयोग करें। इसके लिए एनोडाइजिंग की विविध उपयोगिताओं का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है।

एनोडाइजिंग की उपयोगिताएं Anodising ka upyog (Uses of Anodizing)

इलेक्ट्रोप्लेटिंग के समान ही, बहुत से व्यक्ति सोचते हैं कि एनोडाइजिंग की एकमात्र उपयोगिता एल्यूमिनियम की बनी वस्तुओं की सतह को चमकीला बनाना है, परन्तु वास्तविकता मात्र इतनी ही नहीं है । एल्यूमिनियम, इसकी मिश्र धातुओं अथवा अन्य किसी भी धातु की बनी वस्तुओं को पॉलिशिंग द्वारा भी चमकीला बनाया जा सकता है।

वास्तव में किसी भी वस्तु पर एनोडाइजिंग नीचे लिखे पांच कारणों में से किसी एक या दो कारणों से की जाती है। इन्हीं कारणों के अनुरूप ही एनोडाइजिंग की परत अर्थात् ऑक्साइड की परत की मोटाई और उसकी सख्ती, रंगरूप व चमक-दमक का निर्धारण किया जाता है । ये पांच कारण हैं

1*  सजावट व स्थायित्व के लिए (Decorative and Protective Anodizing)

एल्यूमिनियम की पतली चद्दर के बने हुए और विविध डिजायनों से अलंकृत बर्तनों, मूर्तियों, बिजली की लाइटों की फिटिंग्स आदि पर एनोडाइजिंग करने का उद्देश्य बहुधा उन्हें चमकीला बनाना और विविध रंग छटाएं प्रदान करना ही होता है। 

इन पर बहुधा ऑक्साइड की पतली सतह ही जमाई जाती है परन्तु यह पतली सतह भी इन वस्तुओं को काफी टिकाऊ बना देती है क्योंकि वातावरण के प्रभाव से खराब होने की एल्यूमिनियम की गति इस पतली परत द्वारा काफी कम हो जाती है। 

इस प्रकार केवल सजावट के लिए की गई एनोडाइजिंग भी वस्तु की उम्र (durability) काफी बढ़ा देती है । इस प्रकार की एनोडाइजिंग में महत्व ऑक्साइड की परत (layer) की मोटाई का नहीं रंग छटा और उसकी सघनता (Shade land density) का होता है। 

2* जंगरोधी बनाने के लिए jangrodhi banane ke liye (To Improve Resistance)

इन्जीनियरिंग उद्योग और अन्य उद्योगों में काम आने वाले उपकरणों,  पार्टों व मशीनों के हिस्से पर एनोडाइजिंग करने का मुख्य लक्ष्य उनकी खराब होने की गति को रोकना और अधिक मजबूती व दीर्घ जीवन प्रदान करना होता है। 

इस प्रकार की एनोडाइजिंग में महत्व रंग छटा और चमक (Shade and brightness) का नहीं परत की कठोरता व मोटाई (thickness and strength) का होता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इन वस्तुओं पर मोटी, सघन और कठोर एनोडाइजिंग की जाती है। वस्तुओं की खराब हो गई सतह अथवा नष्ट अवरोधकों पर भी इसी प्रकार की एनोडाइजिंग की जाती है।

3* प्लेटिंग व पेण्टिग से पहले (As Pre-treatment)

एल्यूमिनियम की बनी हुई वस्तुओं, विशेषतय एल्यूमिनियम धातु को ढाल कर बनाई गई वस्तुओं, पर इलेक्ट्रोप्लेटिंग करने, रंगने या चित्रकारी करने से पहले उनकी सतह को एनोडाइजिंग द्वारा चमकीला व स्मथ (Smooth) बनाया जाता है। 

इस कार्य के लिए भी सजावटी एनोडाइजिंग के समान पतली परन्तु बहुत सघन कोटिंग वस्तुओं पर की जाती है। एल्यूमिनियम की वस्तुओं पर इलेक्ट्रोप्लेटिंग करने से पहले एनोडाइजिंग करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उन वस्तुओं पर प्लेटिंग शीघ्र और अधिक आसानी से हो जाती है और सतह का स्थायित्व व चमक भी बढ़ जाती है। 

रंगने व पेण्टिग करने से पूर्व एल्यूमिनियम की ढलवां वस्तुओं पर एनोडाइजिंग करने का उद्देश्य उनकी सतह की चिकना और रसायनों के प्रति अधिक संवेदनशील (Smooth and Sensetive) बनाना होता है। इस प्रकार की एनोडाइजिंग में बाथ का चुनाव आगामी प्रक्रियाओं का ध्यान रखते हुए उन्हीं के अनुरूप किया जाता है।

4* ताप या विद्युत का प्रवाह बढ़ाने के लिए (For Insulation)

शुद्ध एल्यूमिनियम ताप व बिजली के करेण्ट का अच्छा सुचालक नहीं है। यही कारण है कि इलेक्ट्रोप्लेटिंग करने से पहले एल्यूमिनियम की बनी हुई वस्तुओं पर एनोडाइजिंग कर ली जाती है जिससे कैथोड के रूप में उनकी सतह पर भली प्रकार करेण्ट का प्रवाह हो सके। बिजली के तारों, विद्युत उपकरणों और विद्युत मोटरों की बाइण्डिग आदि में आजकल तांबे के स्थान पर एल्यूमिनियम का ही प्रयोग अधिक किया जा रहा है क्योंकि यह वजन में हल्की व अपेक्षाकृत सस्ती धातु है। 

इस प्रकार की एल्यूमिनियम की बनी सभी वस्तुओं–तार, कण्डेसर, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक्स पार्टस-पर एनोडाइजिंग करने का एक मात्र उद्देश्य उनकी विद्युत संवाहक ममता बढ़ाना ही होता है। इस कार्य के लिए बहुधा पतली परन्तु बहुत घनी (thin and dense) एनोडाइजिंग की जाती है।

5*  रंगने व चित्रकारी के लिए (For Colouring and Painting)

  उच्च क्वालिटी और महंगी सजावटी वस्तुओं पर बहुधा चित्रकारी की जाती है या उन्हें असमान्य रंगों में रंगा जाता है। आजकल शुद्ध एल्यूमिनियम की बनी हुई प्लेटों, तस्तरियों, गिलासों आदि पर रंग-बिरंगी मनमोहक चित्रकारी करने का बहुत अधिक प्रचलन है। प्लेटों आदि को तस्वीरों की तरह दीवारों पर लटकाया जाता है और गिलासों, प्यालों आदि को अल्मारियों आदि में सजावट के लिए रखा जाता है।  

हाई सोसाइटी ही नहीं मिडल सोसायटि भी इस प्रकार की सजावटी वस्तुओं का प्रयोग अब बहुतायत से करने लगे हैं क्योंकि अन्य धातुओं की बनी हुई इस प्रकार की वस्तुओं की अपेक्षा इनका मूल्य बहुत ही कम होता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि भिन्न-भिन्न कारणों अथवा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए की जाने वाली एनोडाइजिंग में सतह की मोटाई, ऑक्साइड की सघनता, उसकी घर्षण अवरोधी क्षमता या मजबूती में तो अंतर होता ही है सतह के रंग में भी पर्याप्त अन्तर रखा जाता है। 

इन सभी अलग-अलग विशेषताओं को प्राप्त करने के लिए न केवल अलग-अलग प्रकार के घोलों (different baths) का प्रयोग किया जाता है बल्कि एनोडाइजिंग करते समय प्रयोग की गई करेण्ट की मात्रा व डेंसिटी, बाथ का तापमान और सान्द्रता तथा मूलधातु के रासायनिक गुण आदि भी एनोडाइजिंग द्वारा बनने वाली सतह या ऑक्साइड की परत को प्रभावित करते हैं। इन विविध प्रभावों को प्राप्त करने की तरकीबों व पूर्ण प्रक्रिया का अध्ययन हम आगामी अध्यायों में करेंगे।

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