Machine and Human (मशीन और मानव)

Machine and Human (मशीन और मानव)

Machine and Human (मशीन और मानव)




                 मशीन या टूल क्या हैं? सबसे पहले हम इसकी परिभाषा समझने की कोशिश करते हैं। ऐसा टूल या मशीन जिसको हाथ से या बिजली से या भाप से या ईंधन से या पशुओं की मदद से संचालित जा सकता हो जिसका उपयोग धातुओं या अन्य सामग्रियों को काटने या आकार देने के लिए किया जाता हो उसे हम मशीन या टूल कहते हैं।  यह कई प्रकार के औजारों पर लागू होता है जैसे कि ब्रोच, ड्रिल, शेपर, हॉबिंग, खराद, मिलिंग और ग्राइंडर (Broch, Drill, Shaper, Hobbing, Lathe, Milling, and Grinder) और भी बहुत सारे मशीन और टूल बाजार में आपको देखने को मिल जाएंगे।

              बेशक यह परिभाषा टूल और मशीनों की उपयोगिता का पूरी तरह से वर्णन नहीं कर पाती। पर फिर भी समझने के लिए काफी हद तक ठीक है।

               परिभाषा के अनुसार मशीन या टूल चलाने के लिए किसी शक्ति स्रोत का आवश्यकता पड़ती है। जैसे घानी को चलाने के लिए पहले बैलों का उपयोग किया जाता था और अब विद्युत का उपयोग किया जाता है। जैसे किसी धातु की चादर को काटने के  छैनी और हथोड़े के साथ व्यक्ति अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल करता है। तो कहीं पर लोहे की चादर काटने के लिए बिजली से चलने वाली मशीनों का उपयोग किया जाता है। कोई भी मशीन या टूल चलाने के लिए किसी शक्ति स्रोत की जरूरत पड़ती ही है। दूसरे शब्दों में मैन्युअल रूप से संचालित नहीं।

                पहले कुछ हाथ चलाने वाले टूल विकसित हुए। वे टूल वास्तव में अन्य टूल बनाने के उद्देश्य से बनाए गए थे। धिरे-धिरे इन टूलों को हाथ से चलने की बजाय किसी अन्य शक्ति स्रोत से चलाया जाने लगा। इस प्रकार मानव हाथ से कम काम करने लगा। और ऐसी मशीनें बनाने में जुटा जिसमें मानव शक्ति के बजाय किसी अन्य शक्ति स्रोत का उपयोग हो।

               सबसे पहली खराद मशीन / लेथ मशीन (Lathe Machines) का आविष्कार 1751 में जैक्स डी वाउकसन (Jacques de Vaucanson) द्वारा किया गया था। जिन्होंने यंत्रवत रूप में लेथ मशीन पर हैड (Head) को लगाकर एडजेस्टेबल कटिंग टूल माउंट किया। जिसके कारण ऐसे बहुत से उपकरण थे जो पहले हाथ से बनते थे अब वे लेथ मशीन पर करने लगे।

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             शुरुआती दौर में मशीन टूल मानव और पशु शक्ति से संचालित होते थे। मशीनों को मैन्युअल रूप से संचालित और स्वचालित रूप से नियंत्रित किया जाता था।  बहुत शुरुआती मशीनों में  गति को स्थिर करने के लिए फ्लाईव्हील का उपयोग किया जाता था। तब मशीन को नियंत्रित करने के लिए गियर और लीवर की जटिल प्रणालियां नहीं थीं। धीरे-धीरे समय के साथ मशीनों के चलाने में भी विकास हुआ। वाटरव्हील की शक्ति से, पवन ऊर्जा की शक्ति से, भाप की शक्ति से और आखिरकार अब बिजली और सौर ऊर्जा से मशीनों को चलाया जाता है। औद्योगिक क्रांति के कारण मशीनों के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा।

              द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक नई उन्नत मशीन का विकास हुआ। इस मशीन को एनसी / संख्यात्मक नियंत्रण  (Numerical Control) कहा गया। इस मशीन को पेपर टेप या पंच कार्ड (Paper Tape or Punch Cards) पर अंकित संख्याओं की एक श्रृंखला का उपयोग किया गया, जिससे उसकी गति को नियंत्रित किया जाता है।

              1960 के दशक में एनसी मशीनों को कंप्यूटर से जोड़ा गया। जिसे सीएनसी यानी कंप्यूटराइज न्यूमेरिकल कंट्रोल (Computerized Numerical Control) मशीन नाम दिया गया। सीएनसी मशीनों के प्रयोग से कार्य बहुत तेजी से होने लगे कार्य प्रणालियों में लचीलापन आया और कार्य में एक्यूरेसी आई। एक ही आकार और साइज के जॉब वर्क को बहुतायत में कम समय में बनाना आसान हुआ। जटिल से जटिल पार्ट्स को सीएनसी मशीन पर बड़ी कुशलता से एक्यूरेसी के साथ बनाया जाता है।

कुछ समय पहले जब ये ऑटोमेटिक मशीनें नहीं थी तो सारे कार्य मैन्युअली किए जाते थे। लेकिन आज सीएनसी मशीनों पर सारे काम ऑटोमेटिक प्रोग्राम के अनुसार होते रहते हैं। जॉब की जरूरत के अनुसार सारे टूल मशीन के कार्टिज (Cartridge) में रख दिए जाते हैं। मशीन को जिस टूल की जरूरत होती है, वह अपने आप उस टूल को माउंट कर लेती है।

             मानते हैं औद्योगिक विकास हुआ है। एक मानव को कम मेहनत करनी पड़े इसके लिए अच्छी से अच्छी मशीनें मानव ने बनाई है। एक आदमी को कम मेहनत करनी पड़ेगी इसके लिए बहुत सी जगहों पर रोबोट्स काम कर रहे हैं। परंपरागत उद्योग धंधे जो लोग घर में बैठकर हाथ से काम करते थे आज वो लोगों भी आधुनिक कंप्यूटराइज मशीनों से काम करवा रहे हैं। यहां तक की पानी के मटके भी आधुनिक मशीनों के द्वारा बनाए जा रहे हैं। हाथ से बनाए हुए खिलौने तो बाजारों में अब कहीं दिखते भी नहीं। अब जो भी जरूरत की चीज देखो वह सब मशीन से बनी हुई ही बाजार में मिलती है।

             मानव ने अपने मस्तिष्क का उपयोग करके अपनी सुख सुविधा के लिए आधुनिक मशीनें बना ली। सुबह उठता है और कार में बैठकर ऑफिस जाता है ऑफिस में बैठे कंप्यूटर और मोबाइल वक्त गुजरता है। शाम को वापस घर आकर सो जाता है। इस प्रकार की दिनचर्या से उसे ढेर सारी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। लोगों में मोटापा दिनबदिन बढ़ता जा रहा है। शारीरिक कार्य करने की क्षमता कम होती जा रही है। अपने हाथों का हुनर भूलता जा रहा है। मानव सोचता है कि उसने विकास कर लिया। पर शायद यह उसकी भूल है।

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