Types of Gears in Hindi



Types of Gears in Hindi



                             गियर एक गोलाकार व्हील नुमा मशिनी पुर्जा (Part) जिस पर समान दूरी और समान आकार (Equal distance and same size) के दांते (teeth) बने होते है। जिससे यह दूसरे गियर से जुड़ जाता है। इनकी सहायता से एक शाफ्ट (Shaft) से दूसरी शाफ्ट (Shaft) में  पावर ट्रांसफर (Power Transfer) किया जाता है। जहां पर दो गियर आपस में मिलते हैं, इसमें जो पहला गियर पावर को ट्रांसफर कर रहा है उसे ड्राइवर गियर (Driver Gear) कहते हैं। जो दूसरा गेयर पावर को लेता है, उससे ड्रिवन गियर (Driven Gear) कहते हैं। दोनों गियर में जो आकार (Size) में छोटा होता है. उसे पिनियन (Pinion) कहते हैं। कहीं पर हमें एक साथ तीन गियर लगाने पड़ जाते हैं, या जब दो गियरों को एक ही दिशा में चलाना हो तो बीच में हमें तीसरा गियर लगाना पड़ता है, उस तीसरे गियर को आइडलर गियर (Idler Gear) कहते हैं। आमतौर पर गियर (Gear) के डायमीटर (Diameter) पर दांते (Teeth) कटे होते हैं। आमतौर पर गियर का प्रयोग कम दूरी की शाफ्टों को चलाने के लिए किया जाता है।

गियर का प्रयोग (Use of Gear)

                      गियर का प्रयोग मशीन की स्पीड बढ़ाने के लिए किया जाता है। मशीन की स्पीड कम करने के लिए किया जाता है। मशीन की ताकत बढ़ाने के लिए किया जाता है।
                      गियर के द्वारा शाफ्ट के समांतर शाफ्ट (Parallel Shaft) में पावर ट्रांसफर किया जाता है। गियर के द्वारा वर्टिकल शाफ्ट (Vertical Shaft) से होरिजेंनल शाफ्ट (Horizontal Shaft) में पावर ट्रांसफर किया जा सकता है। होरिजेंटल शाफ्ट (Horizontal Shaft) से वर्टिकल शाफ्ट (Vertical Shaft) में पावर को ट्रांसफर किया जा सकता है।

गियर बनाने में काम आने वाले मेटल (Gear Metal)
कास्ट आयरन (Cast Iron)
कास्ट स्टील  (Cast Steel)
एलॉय स्टील (Alloy Steel)
माइल्ड स्टील (Mild Steel)
कॉपर (Copper)
पीतल (Brass)
कांसा (Bronze)
एलुमिनियम (Aluminum)
प्लास्टिक (Plastic)
नायलॉन (Nylon)


Types of Gears in Hindi

गियर बनाने की प्रक्रिया (Gear and forming process)

                        गियर बनाने के लिए कास्टिंग (Casting), फोर्जिंग  (Forging), एक्सट्रूजन (Extrusion), मिलिंग (Milling), शेपिंग (Shaping), हॉबिंग (Hobbing), आदि प्रक्रियाओं प्रयोग में लाई जाती हैं। ज्यादा ताकत लगने वाले गियर को हार्ड व टेंपर Hard and Tempered) किया जाता है।

Types of Gears in Hindi

गियर के प्रकार (Types of Gears)

                     औद्योगिक उपयोग के आधार पर अलग-अलग मशीनों और अलग-अलग प्रयोग के लिए कई प्रकार के गियर तैयार किए जाते हैं। ये गियर क्षमता, आकार और गति को देखकर प्रयोग में लाए जाते हैं। गियर का प्रयोग कृषि, रेलवे, खनन और भी कई प्रकार के बड़े बड़े उद्योगों में किया जाता है।

स्पर गियर (Spur Gear)
बिवेल गियर (Bevel Gear)
हेलीकल गियर (Helical Gear)
हाइपोइड गियर (Hypoid Gear)
वर्म और वर्म व्हील (Worm and worm wheel)
रैक और पिनियन (Rack and Pinion)
मीटर गियर (Metre Gear)
आंतरिक/इंटरनल गियर (Internal Gear)

स्पर गियर (Spur Gear)

                        स्पर गियर सीधे दाँत वाले गियर होता हैं। जिनका इस्तेमाल समानांतर अक्षों के बीच शक्ति और गति को संचारित करने के लिए किया जाता है। गति को कम करने या गति को बढ़ाने के लिए इस प्रकार के गियर का उपयोग किया जाता हैं। ये गियर हब या शाफ्ट पर लगाए जा सकते हैं। ये गियर विभिन्न आकार और डिजाइन में उपलब्ध होते हैं और विभिन्न औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के इन गियर का प्रयोग किया जाता है।

बिवेल गियर (Bevel Gear)

                    बिवेल गियर मशीनी शक्ति और गति को संचारित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले यांत्रिक उपकरण हैं।  इन गियर का उपयोग व्यापक रूप से गैर-समानांतर शाफ्टों के बीच शक्ति और गति को प्रसारित करने के लिए किया जाता है। बिवेल गियर का प्रयोग ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पर दो शाफ्ट आपस में एक दूसरे के समकोण यानी 90 डिग्री के कोण पर होती है। वहां पर बिवेल गियर का प्रयोग किया जाता है। बिवेल गियर पर दांत सीधे या तिरछे हो सकते हैं।  शाफ्ट के घूमने की दिशा को बदलने की आवश्यकता होने पर ये गियर उपयुक्त होते हैं।

हेलीकल गियर (Helical Gear)

                       हेलीकल गियर दिखने में इस स्पर गियर के समान ही होते हैं फर्क केवल इतना होता है स्पर गियर में दांते सीधे होते हैं। जबकि हेलीकल गियर में दांते एक विशेष एंगल में बने होते हैं। स्पर गियर के दांते सीधे होने के कारण जो ताकत लगती है वह एक ही दांत से लगती है और आवाज ज्यादा करते हैं। जबकि हेलीकल गियर के दांते एंगल में होने के कारण ज्यादा दांते आपस में संपर्क/टच में रहते हैं और आवाज भी नहीं करते।इन गियर का प्रयोग भी समांतर शाफ्टों में किया जाता है।
हेलीकल गियर दो प्रकार के होते हैं :-
सिंगल हेलीकल गियर (Single helical gear)
डबल हेलीकल गियर (Double helical gear)

हाइपोइड गियर (Hypoid Gear)

                       हाइपोइड गियर  देखने में बिवेल गियर के जैसा ही होता है फर्क सिर्फ इतना होता है इसके दांते तिरछे लेकिन घुमावदार होते हैं। इसके साथ केवल हाइपोइड पिनियन का ही प्रयोग होता है। इसका प्रयोग भी गति को होरिजेंटल सॉफ्ट से वर्टिकल साथ में पहुंचाने के लिए किया जाता है।

वर्म और वर्म व्हील (Worm and worm wheel)

                       वर्म एक गोलाकार शाफ्ट होती है। जिसके डायमीटर पर विशेष चूड़ियां कटी होती है। इसका प्रयोग ऐसे वर्म व्हील पर किया जाता है जिसके दांते वर्म शाफ्ट पर मेश करते हैं। इनका प्रयोग ऐसी जगह किया जाता है जहां पर दो शाफ्टें आपस में एक दूसरे को क्रॉस करती हो। इसके द्वारा गति को क्रॉसवाइज ट्रांसमिट (Crosswise Transmit) किया जाता है। इसके द्वारा मशीन की गति को कम किया जाता है। इस प्रकार की गियर का उपयोग भार उठाने वाली मशीनों और इंडेक्सिंग हैड (Indexing head) में किया जाता है।

रैक और पिनियन (Rack and Pinion)
 
                    रैक एक चौरस पट्टी होती है जिस पर सीधे दांते कटे होते हैं जिसके साथ स्पर गियर पिनियन के रूप में उपयोग में लिया जाता है। इसके द्वारा मशीनों के वर्किंग टेबल तथा स्लाइडो को ऊपर नीचे और आगे पीछे किया जाता है। रैक और पिनियन की मदद से रेखीय गति को घुमाऊ गति में और घुमाऊ गति को रेखीय गति में बदला जा सकता है।

मीटर गियर (Metre Gear)

                       मीटर गियर भी देखने में बिवेल की तरह ही होते हैं यह गियर 90 डिग्री के कोण पर आपस में फिट होते हैं इन गियर के दांते 45 डिग्री के कोण पर बने होते हैं दोनों गियर एक ही साइज के होते हैं।

आंतरिक/इंटरनल गियर (Internal Gear)

                   आंतरिक गियर दिखने में एक रिंग जैसा होता है। रिंग में दांते बाहर की बजाय आंतरिक सतह पर कटे जाते हैं। आमतौर पर आंतरिक गियर का प्रयोग ऑटोमोबाइल क्षेत्र होता है।


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