Type of Measuring Instrument and Gauge

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मापने वाले यंत्र Measuring Instrument

                               कोई भी मैकेनिकल (Mechanical) कार्य आरम्भ करने से पहले यह आवश्यक है कि हम उससे सम्बस्थित नामों से पूर्ण रूप से परिचित हों ; काम भले ही लकडी का हो अथवा लोहे का, चीजों की नाप हमेशा एक सी होनी चाहिए । धातुओं के कामों में इस बात का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।  शिल्पकारों (Mechanic) के लिए नापने के औजार (Measuring Instrument) इस प्रकार के बनाए गए हैं कि किसी वस्तु को छोटे-बड़े आकार में बनाने के लिए नाप द्वारा उसको सही आकार का बनाया जा सके। अत: केवल मैकेनिकल ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के इंजीनियरिग कार्यों में पैमाने के बारे में पूर्ण जानकारी, उनका प्रयोग करने की विधि तथा उसका हिसाब करना आना चाहिए । मैकेनिकल ( Mechanical ) कार्य में किसी वस्तु की लुम्बाई ( Length ),चौडाई (Width), मोटाई ( Thickness ) या उसका बाहरी व भीतरी व्यास (Outer and inner diameter) नापने तथा कोण (Angle) आदि नापने का कार्य अधिक पडता है। इसके लिए फुट-रूल (Steel Rule), वनियर, कैलिपर्स (Vernier), माइक्रोमीटर (Micrometre), गेज (Gauge) इत्यादि से नाप लेकर उसको सही-सही पढ़ने ओर उसको हिसाब बटे तथा दशमलव (Division and Decimals) में करने का ज्ञान होना चाहिए।

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नापने वाले यंत्र दो प्रकार के होते है

                             1 _ सीधे नापने वाले यंत्र - यह वे यन्त्र होते हैं जिनसे किसी भी वस्तु का माप सीधा ज्ञात हो जाता है, जैसे’--स्केल (Steele Rule), बनियर (Vernier), कैलीपर (Caliper), माइक्रोमीटर (Micrometre) इत्यादि।
                              2 _ सीधे ना माफ सपने वाले यंत्र - यह वे यंत्र होते हैं जिनमें किसी भी वस्तु का माप सीधे नहीं मापा जा सकता बल्कि किसी दूसरे यंत्र की सहायता से मारना पड़ता है। जैसे :- आउटसाइड कैलीपर (outside caliper), इनसाइड कैलीपर ( inside caliper) इत्यादि।

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माप तोल के लिए निम्न प्रणालियां काम में लाई जाती है :-

                            1_ ब्रिटिश प्रणाली (British Method) इसमें लंबाई की इकाई फीट (Feet) , भार की इकाई पौंड (Pounds) और समय की कई सैकण्ड (Seconds)
                            2 _मीट्रिक प्रणाली (Metric Method) इसमें लंबाई की कई सेंटीमीटर(Centimetres), भार की किलोग्राम (Kilogram) समय की कई सेकंड (Seconds)
                            3 _ एम. के. एस. प्रणाली (M. K. S. Method) अर्थात मीटर किलोग्राम सेकंड ( Metre kilogram Seconds)
                            ब्रिटिश प्रणाली में 1 गज को 3 बराबर भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग को एक फिट कहते हैं। एक फिट को बराबर 12 भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग को इंच कहते हैं। 1 फीट में 12 इंच होते हैं। प्रत्येक इंच को 8 भागों में बांटा गया है।  जिसे सूत कहते हैं। एक सूत को भी 2, 4और 8 बराबर भागों में बांट कर इंच को 1/8, 1/16, 1/32 और 1/64 भाग किया गये हैं। ताकि छोटी से छोटी नाप लेने में सुविधा हो।
फिट और इंच को सापेक्ष लिखने के लिए चिन्ह निश्चित किए गए हैं। उनको संख्या के दाहिने और संख्या के कुछ ऊपर टेढ़ा अंकित किया जाता है। फिट के लिए ( ' ) चिन्ह है और इंच के लिए ( " ) चिन्ह लगाए जाते हैं। जैसे किसी वस्तु की लंबाई 1 फीट 3 इंच हो तो हम उससे लिखेंगे ( 1'3" ) या 2 फीट 3 इंच हो तो हम इसे ( 2'3" ) इस तरह लिखेंगे।
                              बड़ी और छोटी लंबाई मापने की सुविधा के लिए स्केल (Steele Rule) कई प्रकार के होते हैं। जैसे 6 इंच और 12 इंच की स्केल यह स्टील या लकड़ी के बने हुए होते हैं। इसी प्रकार 2 फीट,  3 फीट या इससे और भी लंबे स्केल बाजार में मिल जाते हैं।

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भिन्न को दशमलव में समझना

                              प्रत्येक मैकेनिक को इस विषय की जानकारी होनी चाहिए क्योंकि जो काम आप को बनाने के लिए मिलेगा वह या तो भिन्न (बंटा) माप में होगा या दशमलव माप में होगा। इसीलिए किसी पुर्जे में दिखाई हुई सही माप के अनुसार बनाने के लिए उसके भिन्न (बटा)  को दशमलव में या दशमलव को भिन्न (बटा) में बदलना आना चाहिए अर्थात जैसे आधे इंच को 1/2" लिखा जाता है और इसी को दशमलव में 0.5 लिखते हैं। इसी प्रकार से एक सूत को भिन्न में 1/8" और दशमलव में 0.125 लिखा जाता है।

भिन्न (बटा) को दशमलव में बदलना
                                भिन्न या बट्टा में लिखी जाने वाली संख्या के ऊपर की संख्या को ' भाज्य ' और नीचे की संख्या को ' भाजक ' कहते हैं। भाज्य वह  संख्या है, जिसको बांटना होता है और भाजक वह संख्या है, जिसमें भाज्य को बांटा जाता है। जैसे :- यदि 16/5 भिन्न को दशमलव में बदलना है तो भाज्य संख्या 16 को भाजक संख्या 5 से भाग देने पर जो पूर्ण संख्या 3 आया है। इसके बाद शेष संख्या एक आगे दसमलव का एक छोटा सा बिंदु चिन्ह लगाकर उसके आगे एक 0 और बढ़ा दिया जाता है। जिससे शेष इससे शेष संख्या का मान 1 से 10 हो जाता है। इसको फिर 5 से भाग देने पर भागफल 3.2 आता है। इस प्रकार उपयुक्त 16/5 का दशमलव के रूप में हम 3.2 लिखेंगे।
                                  इसी प्रकार दशमलव को भिन्न में बदलने के लिए दशमलव की संख्या के नीचे लाइन लगाकर, दशमलव के निचे पहले 1लिख दें। फिर दसमलव के आगे जितनी संख्या हो उतने  शून्य 1 अंक के आगे लगाकर दशमलव को छोटा बिंदु हटाकर लाइन के नीचे 1 लिखकर तीन अंक ( 121 ) के बदले तीन शून्य लगा दें अर्थात :- दशमलव _ 1.121 या भिन्न _ 1121/1000

परकार / कम्पास (Divider)

                                कुछ माप या आकार ऐसे होते हैं जिसको हम स्केल (steel rule), वर्नियर (Vernier), कैलिपर (caliper), द्वारा ठीक से नहीं माप सकते इसीलिए उनकी सही माप या कार ज्ञात करने के लिए एक ऐसे औजार की आवश्यकता पड़ती है। जिसे परकार (Divider) कहते हैं। परकार की सहायता से धातुओं पर सर्कल (Circle) लगाए जा सकते है। परकार की सहायता से से किसी सर्कल या लंबाई को बराबर भागों में विभाजित किया जा सकता है।

कंपास (Divider) 

                                माइल्ड स्टील या हाई कार्बन स्टील का बना होता है। यह दो टांगों वाला मार्किंड इंस्ट्रूमेंट है। यह अलग-अलग साइज में बाजार में उपलब्ध है। इसकी दोनों टांगों को कम या ज्यादा खोलकर स्केल के द्वारा माफ सेट कर दिया जाता है फिर मनचाही जगह पर मार्किंग कर दी जाती है।

कैलिपर (Calipers)

                         बहुत से काम ऐसे होते हैं, जहां पर परकार या स्केल मापने के लिए काम में नहीं लाए जा सकते हैं जैसे गोल, टेढ़ी या छेद वाली जगहों की माप।अत: ऐसी जगहों को माप लेने के लिए हमको एक ऐसे औजार की आवश्यकता होती है जिसे हम सरलता से नाप ले सकें। ऐसे काम के लिए कैलिपर का प्रयोग किया जाता है।
कैलिपर तीन प्रकार के होते हैं :-

आउटसाइड कैलीपर (Outside Caliper)

                       यह माइल्ड स्टील या हाई कार्बन स्टील का बना होता है। यह दो मुड़ी हुई पत्तियों को रीवट या स्प्रिंग के द्वारा जोड़ बनाया हुआ होता है। इन पतियों के मध्य का भाग बाहर को उभरा हुआ होता है और दूसरे दोनों सिरे भीतर की ओर झुक कर एक दूसरे से बिल्कुल मिला दिए जाते हैं। इसके क्लिप के नीचे एक स्क्रू लगा होता है। इसके प्रयोग की विधि बहुत सरल है। आउटसाइड कैलीपर को का एक सिरा पैमाने की और बराबर रखकर दूसरे सिरे को स्कु द्वारा  आसानी से आगे पीछे ले जाया जा सकता है। जब निश्चित चिन्ह पर इसका दूसरा सिर पहुंचता है तब इन दोनों सिरों को अंतर हमारी मनचाही माप के बराबर हो जाता है। इसके द्वारा किसी वस्तु का बाहरी माप जा जाता है कैलिपर को वस्तु के आकार के अनुसार स्क्रू घुमा कर उसके दोनों सिर जॉब के दोनों साइड तनिक स्पर्श लगे तब इस को घुमाना बंद करके कैलिपर की माप को स्केल पर रखकर देखा जाता है।

इंसाइड कैलीपर (Inside Caliper)

                        यह दिखने में एक परकार (Divider)जैसा होता है। फर्क सिर्फ इतना है कि परकार के सिरें नुकीले होते हैं और इनसाइड कैलिपर के सिरें चपटे और बाहर की ओर मुड़े होते हैं। इसकी प्रयोग विधि लगभग वही है जो आउटसाइड कैलीपर की होती है यह भीतरी माप मापने के काम आता है।

आॅड लेग कैलीपर ( Odd Leg Caliper)

                           यह दिखने में बिल्कुल परकार (Divider) के जैसा होता है। पर अंतर यह है इसका एक सिरा नुकीला होता है और दूसरा सिरा अंदर की तरफ मोड़ा होता है इसकी प्रयोग विधि लगभग आउटसाइड कैलीपर जैसे ही है यह जॉब पर मार्किंग करने तथा किसी गोल वस्तु का सेंटर ज्ञात करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
स्ट्रेट एज (Straight Edge)

                           यह दो प्रकार के होते हैं एक कार्बन स्टील के बनाए जाते हैं जिनकी लंबाई 2 मीटर तक होती है इनकी एक साइड टेपर करके थोड़ा पतली बना देते हैं जिससे स्टैंटनैस चैक करने में सुविधा रहती है।
दूसरे कास्ट आयरन के बनाए गए होते हैं। जिसकी लंबाई लगभग 3 मीटर तक होती है। इनका उपयोग मशीनों के गाइड वेज  स्लाइडों को सीधा या समतल जांच करने के लिए किया जाता है।

गुनिया (Try Square)

                           ट्राई स्क्वायर अंग्रेजी के एल ' L 'अक्षर के आकार का होता है । यह 90 डिग्री पर मुंडा होता है इसमें ब्लड को 90 डिग्री पर स्थिर रखकर रिवट लगा दी जाती है। यह अलग-अलग साइज में बाजार में उपलब्ध है गुनिया एक चेकिंग टूल है जिसकी सहायता से हम समकोण की परख करते हैं 1 फिटर तथा मशीनिस्ट आमतौर पर कार्य करते समय इसका प्रयोग करते हैं। इसके द्वारा सतह की समतलता की जांच की जा सकती है। इसका प्रयोग कर जॉब की मार्किंग करते समय समान्तर तथा लंबवत रेखाएं खींचने के लिए किया जाता है इसका साइज ब्लेड की लंबाई से पता किया जाता है।

डायल टेस्ट इंडिकेटर (Dial Test Indicator)

                    यह किसी वस्तु की सरफेस चेक करने में प्रयोग होता है। इसमें एक स्प्रिंग प्रभावित सुई होती है जो डायल के ऊपर लिखे अंको पर परिणाम बताती है। इससे हम इंच में 0.001 तथा मीट्रिक में 0.01एम•एम• तक का माप ले सकते हैं। डायल टेस्ट इंडिकेटर को होल्डर में क्लैंप करके प्रयोग में लाया जाता है। जॉब की समानता जांच करने में प्रयोग होता है। जॉब की टेपर चेक करने में प्रयोग होता है। जाॅब की स्ट्रेटनेस जांच करने में प्रयोग होता है।
बिवेल गेज (Bevel Gauge)

                        यह औजार गुनिया की भांति बना होता है। ट्राई स्क्वायर में ब्लेड रिवट की हुई होती है। जबकि बिवेल गेज में यह ब्लेड घूमती है और अलग-अलग डिग्री में कोण बनाती है। यह यंत्र किसी वस्तु के दो भागों को अलग-अलग कोण में बनाने या नापने का काम करता है। यह कई प्रकार के बने होते हैं। वर्नियर स्केल लगे हुए बिवेल गेज से डिग्री और मिनट सही-सही जाने जा सकते है।

वर्नियर कैलीपर (Vernier Caliper)

                        वर्नियर कैलीपर माप लेने का एक औजार है। इसके द्वारा हम जॉब के बाहरी, भीतरी, लंबाई,चौड़ाई किसी भी तरह से माप ले सकते हैं। इससे किसी भी जॉब की सही-सही माप ली जा सकती है। यह कई प्रकार के आते हैं। जैसे :-  डायल वर्नियर कैलीपर (Dial Vernier Caliper), स्केल वर्नियर कैलीपर (Scale Vernier Caliper), डिजिटल वर्नियर कैलीपर (Digital Vernier Caliper), फ्लैट एज वर्नियर कैलिपर (Flat Edge Vernier Caliper), फ्लैट एंड नाइफ एज वर्नियर कैलीपर (Flat and Knife Edge Vernier Caliper)

माइक्रोमीटर (Micrometre)

                        माइक्रोमीटर अंग्रेजी के सी अक्षर के आकार का होता है यह मापने के सभी औजारों की अपेक्षा माइक्रोमीटर सबसे अच्छा और सही नाप लेने वाला औजार है। इसके द्वारा हम किसी भी जॉब का बिल्कुल सही माप ले सकते हैं  इसका आकार रूप अन्य सब नाप लेने वाले यंत्रों की अपेक्षा भिन्न है। वह इसका प्रयोग भी बहुत भिन्न है। माइक्रोमीटर पर मैंने एक अलग आर्टिकल लिखा है, यहां पर क्लिक करके आप उसे पढ़ सकते हैं।
गेज़ (Gauge)

                      गेज एक निश्चित मापी औजार है, जिसकी कोई रेंज नहीं होती अर्थात गेज जिस साइज की बनी है वह केवल उसी साइज को चेक करती है। इसके साइज को एडजस्ट नहीं किया जा सकता जैसे वर्नियर और माइक्रोमीटर को किया जाता है। कारखानों में अधिक उत्पादन के लिए गेजों का प्रयोग किया जाता है।

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गेज अनेक प्रकार के होते हैं। जैसे :-

प्लग गेज (Plug Gauge), 
स्नैप गेज (Snap Gauge) 
लिमिट गेज (Limit Gauge),
सिलैंडरिकल रिंग गेज (Cylindrical Ring Gauge),
थ्रेड रिंग गेज (Thread Ring Gauge), 
 कैलिपर गेज (Caliper Gauge), 
ड्रिल गेज (Drill Gauge), 
रिसीविंग गेज (Receiving Gauge), 
फिलर गेज (Feeler Gauge), 
रेडियस गेज (Radius Gauge), 
प्रोफाइल गेज (Profile Gauge), 
सेंटर गेज (Centre Gauge),  
ड्रिल पॉइंट गेज (Drill Point Gauge), 
वायर गेज / सीट गेज (Wire Gauge / Sheet Gauge), 
स्क्रिप्ट गेज (Script Gauge), 
एंगल गेज (Angle Gauge)

                       यह मापने के कुछ महत्वपूर्ण औजार हैं।इन औजारों की मदद से हम जाॅब को सही आकार और सही साइज में बना सकते हैं।

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