गोल्ड प्लेटिंग क्या है? गोल्ड इलेक्ट्रोप्लेटिंग, गोल्ड प्लेटिंग के प्रकार, गोल्ड प्लेटिंग प्रोसेस

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गोल्ड प्लेटिंग क्या है? (What is Gold Plating?)

स्वर्ण या सोना मतलब गोल्ड संसार की सबसे महंगी और महत्वपूर्ण धातुओं में एक है। पूरे संसार में अति प्राचीन काल से ही स्वर्ण/सोना सम्पन्नता और वैभव का प्रतीक रहा है और आज भी है। औरतें और पुरुष स्वर्ण आभूषण पहनना सौन्दर्य, वैभव और विलासता के साथ-साथ जरूरत भी मानते रहे हैं। 

यही कारण है कि आज सोना खरीद पाना और उसे पहनकर सुरक्षित रह पाना जन सामान्य के लिए लगभग असंभव जैसा हो गया है। गोल्ड इलेक्ट्रोप्लेटिंग किए गए नकली सोने के गहनों की बाजार में बहुत ज्यादा मांग है। वैसे तांबे, पीतल, चांदी आदि धातुओं के बने गहनों पर ही गोल्ड प्लेटिंग अधिक की जाती है। साथ ही विद्युत उद्योग, मोबाइल कंप्यूटर उद्योग, चिकित्सा विज्ञान व अन्य उद्योग के कुछ उपकरणों पर भी गोल्ड प्लेटिंग की जाती है। 

गोल्ड प्लेटिंग करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि वस्तुओं की सतह पर आवश्यकता से अधिक मोटी सोने की परत न चढ़ पाए क्योंकि सोने के अत्यधिक मूल्यवान होने के कारण जरा सी मात्रा में भी फालतू खपत आर्थिक हानि का कारण बन सकती है। नीचे प्रत्येक बाथ के साथ प्लेटिंग में लगने वाले समय और अन्य सावधानियों के बारे में जानेंगे। इन पर चलकर आप कमसे-कम लागत में अच्छी गोल्ड प्लेटिंग प्राप्त कर सकते हैं। 

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सोना/स्वर्ण प्लेटिंग के प्रकार Types of gold Plating

1. अधिक प्रचलित गोल्ड बाथ (A Popular Gold Bath)

प्रयोग विधि में आसान और मनचाही रंगछटा (shade) प्रदान करने में समर्थ यह घोल मात्र पांच से पन्द्रह सैकिण्ड के मध्य ही वस्तुओं पर स्वर्ण की परत चढ़ाने में समर्थ है। यही कारण है कि गोल्ड प्लेटिंग में सबसे अधिक इसी बाथ का प्रयोग किया जाता है। इसका फार्मूला, विविध रंग छटाएं बनाने के फार्मूला तथा कार्य अनुसार बाथ को हल्का या भारी बनाने की विधि सहित पूर्ण प्रक्रिया नीचे बताई जा रही है।

गोल्ड प्लेटिंग फार्मूला (Gold Plating formula)

(A) पोटाशियम गोल्ड सायनाइड (Potassium Gold Cyanide) – 20 ग्राम

(B) पोटाशियम सायनाइड (Potassium Cyanide) – 12:5 ग्राम 

(C) कॉस्टिक पोटाश (Caustic Potas) – 12.5 ग्राम 

(D) पोटाशियम सल्फाइट (Potassium Sulphite) – 6 ग्राम

(E) डिस्टिल्ड वाटर (Distiled Water) – एक लीटर

 परिचालन स्थितियां (Working Conditions) 

(a) बाथ का तापमान (Temp. of Bath) – 125° से 180° फारेनहाइट 

(b) करेण्ट डेन्सिटी (Current Density) – 20 से 60 एम्पीयर प्रति मीटर

(c) वोल्टेज (Voltage) – डेढ़ से दो वाल्ट 

(d) टंकी (Tank) – एनेमल चढ़ा लोहे का 

(e) एनोड (Anodes) – अघुलनशील अच्छे रहते हैं। 

कार्यप्रणाली, विधि व सावधानियां (Process and Precautions)

सोने की प्लेटिंग करने के लिए इस बाथ को चीनी-मिट्टी की टंकी या गहरी ट्रे अर्थात् एनेमल कोटेड लोहे की गहरी ट्रे या टंकी में भरकर प्रयोग करना चाहिए। अच्छा तो यह रहता है कि स्टेनलेस स्टील या प्लेटीनम या ग्रेफाइड के एनोडों का प्रयोग किया जाए क्योंकि ये बाथ में घुलते नहीं हैं केवल करेण्ट प्रवाहित करते हैं। 

अतः बाथ में मिला हुआ सोने का अंश ही वस्तुओं की सतह पर चढ़ता है। इन अघुलनशील एनोडों का प्रयोग करते समय बाथ में बीच-बीच में उचित मात्रा में पोटाशियम गोल्ड सायनाइड मिलाते रहना चाहिए जिससे बाथ में क्षरित हुई गोल्ड या सोने की मात्रा की पूर्ति होती रहे। यदि लगातार बहुत अधिक वस्तुओं पर एक के बाद एक गोल्ड प्लेटिंग करनी हो तो आप एकदम शुद्ध स्वर्ण (24 Carrot Gold) के एनोडों का भी प्रयोग कर सकते हैं। 

ये एनोड धीरे-धीरे बाथ में घुलते रहेंगे। अतः बाथ में सोने की मात्रा का क्षय नहीं होगा और बार-बार पोटाशियम गोल्ड सायनाइड भी आपको बाथ में नहीं मिलाना पड़ेगा। शुद्ध सोने के ये एनोड बहुत तेजी से घुलते हैं अतः प्लेटिंग हो जाने पर वस्तुओं को घोल से निकालते समय ही इन एनोडों को भी उसी समय घोल से निकाल लेना चाहिए और अगले लोट (lot) की वस्तुएं घोल में लटकाते समय ही इन एनोडों को घोल में लटकाएं।

इस बाथ द्वारा चन्द सेकिण्ड में ही वस्तुओं पर सोने की प्लेटिंग हो जाती है अतः वस्तुओं को पांच से पन्द्रह संकिण्ड तक ही घोल में रखें। प्लेटिंग की जा रही वस्तुओं को घोल में निरन्तर हिलाते रहना परम आवश्यक है। यदि वस्तुओं को निरन्तर हिलाने में थोड़ी भी लापरवाही की जाएगी तो प्लेटिंग खराब हो सकती है। साथ ही घोल का तापमान उचित सीमा के मध्य बना रहना भी आवश्यक है। 

आभूषणों पर गोल्ड प्लेटिंग अर्थात् सोने का मुलम्मा करने में सबसे महत्वपूर्ण बात यह देखी जाती है कि सोने का रंग कैसा है। इस कार्य के लिए यह आवश्यक है कि ताजा बना हुआ सोने का घोल प्रयोग किया जाय क्योंकि घोल से कुछ समय तक काम ले लेने पर यह रंग में गहरा हो जाता है और प्लेटिंग का रंग पुराने सोने के रंग जैसा हो जाता है। इसी कारण से एनोड अघुलनशील लिये जाएं और घोल से इतने समय तक काम लेते रहें कि इसमें सोना (Gold) न रहे।

सोने को रंग छटा में परिवर्तन (Changing in Coloure tone)

गोल्ड प्लेटिंग के कलर Gold plating colour

उपरोक्त बाथ में प्लेटिंग करने पर वस्तुओं पर चढ़ने वाले सोने की परत या मुलम्मे का रंग एकदम शुद्ध सोने जैसा पीला होता है। कभी-कभी इस पीले रंग में ताम्रवर्णीय, हरिताभ या प्लेटीनम के समान रजत वर्णीय आभा देने की मांग भी ग्राहक द्वारा की जाती है। 

सोने के आभूषणों को खरा रूप प्रदान करने के लिए प्रायः ताम्र वर्णीय या रजत वर्णीय अत्यन्त हल्की आभाएं भी दी जाती हैं। इस घोल में धातु विशेष का सायनाइड मिलाकर आप वांछित आभा (Coloure-tone) प्राप्त कर सकते हैं।

1. इस बाथ में स्वल्प मात्रा में कॉपर सायनाइड (Copper Cyanide) मिलाकर प्लेटिंग के रंग की ताम्रवर्णीय या लालिमायुक्त बनाया जा सकता है। 

शुद्ध सोने के आभूषणों में भी दस से पन्द्रह प्रतिशत तांबे, चांदी आदि की मिलावट होती है अतः एक से दो ग्राम के मध्य कॉपर सायनाइड प्रति लीटर बाथ में मिलाकर मुलम्मा या प्लेटिंग किए गए आभूषणों को अर.ली आभूषणों जैसा रंग प्रदान कर सकते हैं। 

2. बाथ में प्रतिलीटर लगभग एक ग्राम निकेल सायनाइड (Nickel Cyanide) मिला देने से प्लेटिंग का रंग चांदी या प्लेटीनम मिश्रित सोने के समान कुछ श्वेत आभायुक्त हो जाता है। 

3. यदि बाथ में इसी मात्रा में निकेल के स्थान पर सिल्वर सायनाइड (Silver Cyanide) मिला दिया जाए तो प्लेटिंग हरित आभायुक्त होती है।

गोल्ड प्लेटिंग घोल में से जब सोना चढ़ना बन्द हो जाय तब भी घोल में कुछ मात्रा में सोना मिला रहता है। इस सोने को प्राप्त करने के लिए घोल में हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाते हैं ताकि सायनाइड विच्छेदित (decompose) हो जाय। 

यह कार्य खुली हवा में करना चाहिए। अब इसमें फेरस सल्फेट मिला दिया जाता है जो कुछ घन्टों की अवधि में ही सोने को ब्राउन रंग के पाउडर के रूप में जमा देता है । यह पाउडर इलेक्ट्रोप्लेटिंग रसायनें बनाने वाली कम्पनियों को अच्छे मूल्य पर बेचा जा सकता है क्योंकि वे इससे गोल्ड साल्ट तैयार कर लेते हैं। 

2. बिना बिजली के गोल्ड प्लेटिंग (Electroless Gold Plating)

इस घोल या बाथ द्वारा किसी भी वस्तु की सतह पर सोने की प्लेटिंग चढ़ाने के लिए इलेक्ट्रोप्लेटिंग टैंक, एनोड्स और पावर सर्किट की आवश्यकता नहीं पड़ती। घोल को गर्म करने के लिए हीटिंग एलीमेण्ट या इमर्शन रॉड का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि उबलते हुए पानी के बर्तन में घोल भरे हुए पात्र को रखकर घोल को गर्म रखा जाता है। 

व्यावसायिक स्तर पर इस पद्धति का प्रयोग करने के लिए दोहरी सतह वाले स्टेनलेस स्टील के बर्तन (Water jacket) का प्रयोग करना अधिक अच्छा रहता है। इस घोल का प्रयोग बहुत अधिक तापमान पर, परन्तु पानी उबलने के तापमान से कुछ कम तापमान पर, ही किया जा सकता है। शुद्ध जल 212° फारनेहाइट अर्थात् 100° सेण्टीग्रेड पर उबलने लगता है । इस घोल का प्रयोग 197° फा० से 203° फारेन० (92°C से : -C) के मध्य तापमान पर ही किया जा सकता है। फार्मूला व पूर्ण विधि नीचे दी जा रही है-

गोल्ड प्लेटिंग कैमिकल (Gold Plating chemicals)

 गोल्ड प्लेटिंग बाथ/घोल Gold Plating bathes

(A) एमोनियम क्लोराइड (Ammonium Chloride) – 75 ग्राम 

(B) सोडियम साइट्रेट (Sodium Citrate) – 60 ग्राम 

(C) सोडियम हाईफॉस्फेट (Sodium Hyphosphite) – 10 ग्राम 

(D) पोटाशियम गोल्ड सायनाइड (Potassium Gold Cyanide) – दो ग्राम 

(E) शुद्ध जल (Distiled Water) – एक लीटर

यह घोल विद्युत तरंगों द्वारा नहीं, पूरी तरह रासायनिक प्रतिक्रियाओं (Chemical reaction) के आधार पर कार्य करता है फिर भी इसकी विच्छेदन क्षमता और क्रियाशीलता (throwing power) शत-प्रतिशत होती है। 

यही कारण है कि यह वस्तुओं की सम्पूर्ण सतह और उसके कटावों (designs) में भी पूरी तरह प्लेटिंग करने में सहज-समर्थ रहता है । यही कारण है कि फैंसी और छोटे-छोटे आभूषणों, जिन्हें इलेक्ट्रोप्लेटिंग करने में बहुधा परेशानी होती है, पर भी इस विधि से संतोषप्रद परिणाम प्रदान करने वाली गोल्ड प्लेटिंग की जा सकती है। इस बाथ को बनाना तथा प्रयोग करना बहुत ही सरल है बस दो बातों का विशेष ध्यान रखना ही आवश्यक है। 

बाथ को प्रयोग करते समय बीच में उसमें कम हो जाने वाले रसायनखासतौर पर पोटाशियम गोल्ड सायनाइड-मिलाकर उनकी मात्रा सही अनुपात में करते जाएं और दूसरे बाथ के तापमान को किसी भी अवस्था में 197° फा० से कम और 203° फा० से अधिक न होने दें। वैसे 200° से 202° फारेनहाइट के मध्य गर्म रखने पर सबसे अच्छा और तेजगति से काम होता है ।

एक स्टेनलेस स्टील या कांच के पात्र या टंकी में सभी रसायन और पानी डालकर मिला लीजिए । आग पर इस पात्र से काफी बड़े बर्तन में पानी गर्म होने रख दीजिए । जब यह पानी उबलने लगे इसमें घोल या बाथ भरे हुए बर्तन को रख दीजिए और थर्मामीटर से बार-बार घोल का तापमान मापते रहिए। 

जब तापमान उचित स्तर तक पहुंच जाए आग को इस प्रकार समायोजित (Control) कीजिए कि बाथ का तापक्रम 200° फा० से 202° फा० के मध्य लगातार बना रहे । इस गर्म बाथ में वस्तुएं लटकाकर उन पर गोल्ड प्लेटिंग कर लीजिए । इस बाथ की पी० एच० वेल्यू सात से साढे सात (pH value 7 to 7.5) रखी जाती है । यह बाथ वस्तुओं की सतह पर अत्यन्त पतली और मुलायम कोटिंग करता है और लगभग सभी धातुओं और उनके मिश्रण से बनी वस्तुओं पर प्लेटिंग करने में समर्थ है। 

3. प्लेटिंग की गई सतह से सोना उतारना (Stripping Gold)

सोने की परत चढ़े हुए आभूषण बदरंग हो जाने, घिसने के कारण कहीं-कहीं से प्लेटिंग उड़ जाने या काफी पुराने हो जाने पर दोबारा गोल्ड प्लेटिंग करने के लिए आपके पास आते ही होंगे-यदि आप गोल्ड प्लेटिंग का कार्य करते हैं । गोल्ड प्लेटिंग किए गए विद्युत व डेण्टल सर्जरी के उपकरण भी खराब होने पर बेकार समझकर फेंक या सस्ते बेच दिए जाते हैं। 

आप इनकी स्वर्ण प्लेटिंग की सतह उतारकर काफी मात्रा में स्वर्ण प्राप्त कर सकते हैं। इस कार्य के लिए रासायनिक मिश्रण (chemical compound) बनाना और स्वर्ण उतारना काफी आसान है और यह आपके लिए बहुत लाभदायक सहायक व्यवसाय (side business) बन सकता है।

(A) पोटाशियम सायनाइड (Potassium Cyanide) – 90 ग्राम

(B) कास्टिक सोडा (Caustic Soda) – 45 ग्राम 

(C) डिस्टिल्ड वाटर (Distiled Water) – एक लीटर

किसी तामचीनी या कांच के पात्र या टंकी में यह घोल तयार कीजिए । जिन वस्तुओं से सोने की परत उतारनी है उन्हें टंकी में एक रॉड से तारों द्वारा बांधकर लटका दीजिए ठीक उसी प्रकार जिस तरह इलेक्ट्रोप्लेटिंग करने के लिए वस्तुओं को लटकाया जाता है। 

परन्तु इन वस्तुओं को आपने एनोड्स के समान प्रयोग करना है अर्थात् इन्हें विद्युत करेण्ट का प्रवाह उस तार (point) से दीजिए जिस पॉइण्ट से एनोड्स को जोड़ा जाता है । फौलाद (Steel) की चद्दरों को इन वस्तुओं के दोनों ओर लटका दीजिए और इन्हें डायनेमो के नैगेटिव पॉइण्ट या तार से जिनसे इलेक्ट्रोप्लेटिंग करते समय वस्तुओं को विद्युत करेण्ट दिया जाता है जोड़ दीजिए। 

इस प्रकार स्वर्ण परत चढ़ी हुई वस्तुएं एनोड के रूप में क्रियाशील हो जाएंगी और उनकी सतह पर चढ़ी हुई सोने की परत रसायन में घुलकर उतरने लग जाएगी। यह रसायन में घुला हुआ सोना अपने शुद्धतम रूप में, स्वयं साफ होकर, स्टील की चद्दरों पर एक सतह के रूप में एकत्र होकर जमता जाएगा। सोने की परत चढ़ी इन स्टील की चद्दरों का प्रयोग आप गोल्ड प्लेटिंग करते समय एनोड के रूप में आसानी से कर सकते हैं।

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आगे आने वाले आर्टिकल में हम चांदी/सिल्वर प्लेटिंग के प्रकार, प्रोसेस, केमिकल बाथ आदि के बारे में जानेंगे।

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