इलेक्ट्रोप्लेटिंग क्या है? (what is electroplating?) (electroplating kya hai?)

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इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) एक यौगिक शब्द है जो अंग्रेजी भाषा के दो शब्दों इलेक्ट्रो (Electro) तथा प्लेटिंग (Plating) से मिलकर बना है। इलेक्ट्रो शब्द का अर्थ होता है विद्युत के माध्यम से अर्थात् बिजली की धारा के माध्यम से कोई कार्य करना और प्लेटिंग का अर्थ है मुलम्मा चढ़ाना अर्थात् किसी धातु की सतह पर दूसरी धातु की पतली सतह चढ़ाना । 

यद्यपि इलेक्ट्रोप्लेटिंग पद्धति से एक धातु पर दूसरी धातु की एकदम बारीक सतह चढ़ाने के प्रक्रिया में विविध रसायनों (Chemicals) आदि का प्रयोग भी किया जाता है परन्तु प्रत्येक प्रकार की इलेक्ट्रोप्लेटिंग में विद्युत धारा का प्रयोग एक अनिवार्य आवश्यकता है इसीलिए इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रोप्लेटिंग कहा जाता है। 

Table of Contents

इलेक्ट्रोप्लेटिंग की परिभाषा (Definition of electroplating) (electroplating ki paribhasha)

इलेक्ट्रोप्लेटिंग का मूल सिद्धान्त (Fundamental Principles of electroplating) (electroplating ka Mul Siddhant)

किसी भी धातु की बनी हुई वस्तु-उपकरण, मशीन, बर्तन, सजावटी सामान आदि-की बाह्य सतहों पर अन्य धातु या उसी धातु की पतली सतह (coating) चढ़ाने की प्रक्रिया है इलेक्ट्रोप्लेटिंग। इलेक्ट्रोप्लेटिंग का मूल सिद्धांत सदियों से प्रचलित मुलम्मा चढ़ाने की प्रक्रिया का ही संशोधित, परिष्कृत व आधुनिक रूप है। यह एक सामान्य नियम है कि किसी भी धातु पर दूसरी धातु की बहुत ही पतली तह (thin layer) दबाकर, कूट-पीट कर या दोनों धातुओं को गलाकर और मिलाकर नहीं चढ़ाई जा सकती। इसके लिए आवश्यक है कि जिस सतह-धातु के बर्तन, मशीन पार्ट आदि–पर दूसरी धातु की सतह चढ़ानी है पहले उसे एकदम साफ करके गर्म किया जाए । 

इस गर्म सतह पर चढ़ाई जाने वाली धातु की कलई-धातु का वह रूप जो पूर्णतय शुद्ध होता है और कम ताप पर पिघल जाता है-लगाया जाता है सतह काफी गर्म होने और चढ़ाई जाने वाली धातु के शीघ्र पिघलने के गुण के कारण, चढ़ाई जाने वाली वस्तु पिघलकर पदार्थ से द्रव्य (liquid) का रूप धारण कर लेती है । धातु के इस द्रव्य रूप को रुई आदि के टुकड़े से पूरी सतह पर फैला दिया जाता है। सम्पूर्ण सतह पर समान रूप से कलई या मुलम्मा फैलाने के बाद उस वस्तु को आग से हटा कर ठण्डे पानी में डाल दिया जाता है । 

इससे वस्तु ठण्डी हो जाती है और उस पर जमाई गई दूसरी धातु की सतह (Plating) मजबूती के साथ जम जाती है । सदियों से स्वर्णकार चांदी, ताबें, गिलट आदि के बने आभूषणों पर सोने की प्लेटिंग (मुलम्मा) चढ़ाने और धातु के बर्तन बनाने व मरम्मत करने वाले पीतल के बर्तनों पर कलई चढ़ाने का कार्य इसी प्रकार करते आ रहे हैं।

किसी भी धातु की सतह पर उसी धातु की या अन्य किसी धातु की सतह चढ़ाने के लिए कुछ परिस्थितियों का होना नितांत आवश्यक है । यह विशेष परिस्थितियां इलेक्ट्रोप्लेटिंग, पालिशिंग, कलरिंग आदि प्रत्येक क्रिया में अनिवार्य हैं अतः सदैव इन सामान्य नियमों का अनुसरण कीजिए।

सतह पूर्णतय स्वच्छ होनी चाहिए (Surface must be Clean) (satah purnataya swachh Honi chahie)

परम्परागत ढंग से कलई या मुलम्मा चढ़ाने के लिए बर्तनों आदि को पहले पर्याप्त गर्म किया जाता है । यदि बर्तन गन्दा होता है या उस पर क्षारीय प्रभाव के कारण जंग अथवा नीली पीली विजातीय पदार्थों की तह जमी होती है तब सबसे पहले बर्तन को अच्छी तरह साफ कर चमकाया जाता है जिससे बर्तन की सतह पर किसी क्षार, अम्ल या विजातीय द्रव्य का प्रभाव न रहे । 

किसी भी विजातीय द्रव्य की तह चढ़ी हुई सतह पर-चाहे वह विजातीय तह कितनी ही बारीक क्यों न हो-निर्दोष प्लेटिंग नहीं की जा सकती । अतः इलेक्ट्रोप्लेटिंग का पहला मूल सिद्धान्त है कि विजातीय द्रव्यों, रसायनों, चिकनाई आदि से प्रभावित सतह पर इलेक्ट्रोप्लेटिंग नहीं की जा कती । यही कारण है कि किसी भी वस्तु पर इलेक्ट्रोप्लेटिंग करने से पहले उसे विविध विधियों द्वारा पूरी तरह साफ किया जाता है। 

एक्सप्लेन ऑफ इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Example of electroplating)

प्लेटिंग द्रव्य को चढ़ सकती है ठोस पदार्थ को नहीं (Plating Material should be in Liquid form)

परम्परागत ढंग से कलई करने या मुलम्मा चढ़ाने में भी सतह पर चढ़ाई जाने वाली धातु को तरल रूप देना आवश्यक होता है क्योंकि एक धातु पर दूसरी धातु की एकदम बारीक और समान तह नहीं जमाई जा सकती । परम्परागत ढंग से कलई करने के लिए आग पर बर्तन आदि गर्म किया जाता है जिससे उस पर चढ़ाई जाने वाली कलई लगाते ही पिघल कर द्रव्य रूप में हर ओर फैल जाए। 

यही नहीं पिघलाई जाने वाली धातु में न्यूनतम तापमान पर पिघलने का गुण पैदा करने के लिए उसके शुद्धतम रूप का प्रयोग किया जाता है तथा निकेल के साथ नौसादर आदि रासायनिक प्रक्रिया करने वाले पदार्थ भी डाले जाते हैं जिससे चढ़ाई जाने धातु शीघ्र पिघल सके । इस प्रकार प्लेटिंग का दूसरा, परन्तु सबसे महत्वपूर्ण, सिद्धान्त है कि कोटिंग या प्लेटिंग की जाने वाली धातु के क्षारीय रूप या धातु के लवणों का प्रयोग किया जाए, ठोस रूप में धातु का नहीं । 

साथ ही धातु के लवणों को शीघ्र क्रियाशील बनाने के लिए कुछ सहायक रसायन भी उसमें मिलाए जाएं । यही कारण है कि प्रत्येक प्रकार की इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए धातु के क्षारों (Salts), रसायनों (Chemicals) और तेजाबों (Acids) को फार्मूलों के अनुसार मिलाकर घोल बनाए जाते हैं । 

क्रियाशीलता के लिए उपकरणों का प्रयोग अनिवार्य है (Use of Intermediates is Compulsory) 

किसी भी धातु की सतह पर दूसरी धातु की तह या पालिश लगाने के लिए उस पालिश या द्रव्य रूप धातु का पूरी सतह पर समान रूप से फैलाया जाना आवश्यक है । इलेक्ट्रोप्लेटिंग में यह कार्य विद्युत तरंगों (Electric current) की सहायता से किया जाता है जब कि प्राचीन परम्परा से कलई करने पर कलई को रुई के टुकड़े से फैलाया जाता है । 

दीवारों व फर्नीचर पर रंग रोगन पहले ब्रुश द्वारा हाथ से फैलाया जाता था परन्तु अब स्प्रे मशीन (Spray) द्वारा कम्प्रेशर से प्रवाहित वायु के दबाव से रंग बिखेर कर वस्तुओं को रंगना अधिक पसन्द किया जाता है। स्प्रे मशीन से रंग शीघ्र, एकसार और अधिक चमकदार व टिकाऊ होता है क्योंकि ब्रुश नहीं वायु का तेज दबाव युक्त प्रवाह वस्तुओं पर रंग की तह जमाता है। ठीक इसी प्रकार इलेक्ट्रोप्लेटिंग द्वारा हाथ से कलई करने के मुकाबले अधिक चमकीली, एकसार, टिकाऊ व निर्दोष कोटिंग (Coating) होती है क्योंकि यह क्रिया रसायनों में प्रवाहित विद्युतधाराओं (electric current) से सम्पन्न होती है। 

इलेक्ट्रोप्लेटिंग के अनुप्रयोग (Electroplating applications)

प्रक्रिया के विविध चरण (Stages of Process) (prakriya ke vividh Charan)

इलेक्ट्रोप्लेटिंग के मूल सिद्धान्तों के अध्ययन से आप यह भली प्रकार समझ गए होंगे कि यह सम्पूर्ण प्रक्रिया कई चरणों में ही पूर्ण की जा सकती है किसी भी सतह पर सीधी इलेक्ट्रोप्लेटिंग नहीं की जा सकती। 

इलेक्ट्रोप्लेटिंग अर्थात् टैंक में वस्तुओं को रख कर बिजली के करेण्ट के प्रवाह से उन पर दूसरी धातु की सतह चढ़ाने की प्रक्रिया से पहले प्रारम्भिक तैयारियां करना आवश्यक है । यद्यपि प्रारम्भिक तैयारियां विविधितापूर्ण और वस्तु की मांग के अनुरूप कुछ कम या अधिक हो सकती हैं परन्तु मुख्य रूप से इन्हें तीन भागों में तो बांटा ही जा सकता है।

सतह की सफाई (Cleaning of Surface) Satah ki Safai

जिस वस्तु पर इलेक्ट्रोप्लेटिंग की जाती है उसकी सतह का पूर्णरूपेण स्वच्छ व चमकीला होना ही नहीं किसी भी विजातीय तत्व से पूर्णतय मुक्त होना भी अनिवार्य है। यही कारण है कि किसी भी वस्तु को –चाहे वह बर्तन हो या जटिल मशीन का कोई हिस्सा पुर्जा, चाहे कोई शो-पीस आइटम हो या बहुत ही छोटी सी पिन या सुई- इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए टैंक में भरे बाथ में डालने से पहले पूरी तरह साफ किया जाता है । 

वस्तुओं की सतह पर जमे विजातीय द्रव्यों को हटाने और सतह को चमकीला बनाने, सतह पर लगे रसायनों तथा चिकनाई को हटाने और बाथ में डालने के ठीक पहले सतह को अधिक संवेदनशील बनाने के लिए सामान्यतय पांच प्रक्रियाओं का सहारा लिया जाता है । पुस्तक के दूसरे खंड में हम सतह की सफाई के लिए वास्तविक इलेक्ट्रोप्लेटिंग से पूर्व की जाने वाली इन सभी प्रक्रियाओं का पूर्ण विवेचन करेंगे। 

बाथ तैयार करना (Preparation of Bath) (baat taiyar karna)

इलेक्ट्रोप्लेटिंग करने के लिए वस्तुओं को टैंक में भरे हुए रसायनों के घोल में डुबोया जाता है । तकनीकी भाषा में रसायनों, लवणों व जल के इस घोल को बाथ कहा जाता है क्योंकि वस्तुओं को इस घोल में डुबोकर नहलाया ही तो जाता है । प्रत्येक धातु पर अलग-अलग प्रकार की इलेक्ट्रोप्लेटिंग की सतह चढ़ाने के लिए अलगअलग किस्म के रसायनों व लवणों का प्रयोग किया जाता है । 

बाथ बनाने के दर्जनों सर्वमान्य व प्रचलित फार्मूले तो हैं ही बहुत से एक्सपर्ट व अनुभवी व्यक्तियों ने इनमें थोड़ा बहुत परिवर्तन करके अपने गुप्त फार्मूले भी तैयार किए हुए हैं जिनका भेद वे किसी को देना पसन्द नहीं करते । वास्तव में इलेक्ट्रोप्लेटिंग के सम्पूर्ण उद्योग में सबसे महत्त्वपूर्ण और दक्षतापूर्ण कार्य विभिन्न बाथ तैयार करना ही है । 

यही कारण है कि बाथ तैयार करने का कार्य छोटे यूनिटों में बहुधा मालिक या यूनिट इन्चार्ज करता है और बड़े यूनिटों में फोरमैन जबकि अन्य सभी कार्य साधारण और अर्धकुशल श्रमिक करते हैं।

टैंक में वस्तुएं लटकाना (Tank operations) (tank mein vastuon latkana)

टैक के अन्दर बाथ तैयार करने के बाद अनेक धातु की सलाखें (metal rods) टैंक के ऊपर आर-पार रखी जाती हैं । इन सलाखाओं में तारों की सहायता से बड़ी मात्रा में विद्युत प्रवाहक इलेक्ट्रोन्स (electrons) लटकाए जाते हैं तथा उनमें विद्युत प्रवाह चालू कर दिया जाता है । 

टैंक में इलेक्ट्रोन्स लटकाने व विद्युत प्रवाह चालू करने की पूर्ण सचित्र जानकारी एक अलग अध्याय में तृतीय खंड दी गई है। इसके पश्चात् वे वस्तुएं, जिन पर प्लेटिंग की जानी है, टैंक में लटका दी जाती हैं। एनोडस् (Anods) और कैथोड्स (Cathods) में विद्युत प्रवाह चालू करते ही लटकाई हुई वस्तु की बाथ में डूबी हुई सतहों पर प्लेटिंग की तह (iayer) चढ़ना प्रारम्भ हो जाता है।

घोल में लटकाई हुई वस्तुओं पर एक निश्चित समय में दूसरी धातु जम जाती है और इस प्रकार इलेक्ट्रोप्लेटिंग की क्रिया पूर्ण हो जाती है। किसी वस्तु पर निर्दोष प्लेटिंग होने में कितना समय लगेगा यह प्लेटिंग की आने वाली वस्तुओं की मात्रा, बाथ या रासायनिक घोल की सघनता व क्रियाशीलता तथा विद्युत प्रवाह के करेण्ट के बोल्टेज पर निर्भर करता है । 

सामान्यतय बीच-बीच में वस्तुओं को बाथ से निकालकर देखते जाते हैं और जैसे-जैसे कोई वस्तु आपेक्षित सीमा तक इलेक्ट्रोप्लेट होती जाती है उसे बाथ से निकालते जाते हैं।

तांबा / कॉपर इलेक्ट्रोप्लेटिंग (copper electroplating) (tamba electroplating)

इससे आगे आने वाले आर्टिकल में हम पढ़ेंगे कॉपर प्लेटिंग के बारे में कॉपर प्लेट इन कैसे की जाती है? कॉपर प्लेट इन में क्या-क्या वस्तुएं काम आती है? कौन-कौन से केमिकल काम आते हैं आदि के बारे में हम जानेंगे।

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